‘‘फुलस्टाप लगाकर सम्पूर्ण पवित्रता की धारणा कर, मन्सा सकाश द्वारा सुख-शान्ति की अंचली देने की सेवा करो’’

30-11-2008      ओम शान्ति     अव्यक्त-बापदादा      मधुबन      पुनरावृत्त  30-01-2021


        आज बापदादा चारों ओर के महान बच्चों को देख रहे हैं। क्या महानता की? जो दुनिया असम्भव कहती है उसको सहज सम्भव कर दिखाया वह है पवित्रता का व्रत। आप सभी ने पवित्रता का व्रत धारण किया है ना! बापदादा से परिवर्तन का दृढ़ संकल्प का व्रत लिया है। व्रत करना अर्थात् वृत्ति द्वारा परिवर्तन करना। क्या वृत्ति परिवर्तन की? संकल्प किया हम सब भाई-भाई हैं इस वृत्ति परिवर्तन द्वारा कितनी बातों में भक्ति में भी व्रत लेते हैं लेकिन आप सबने बाप से दृढ़ संकल्प किया क्योंकि ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन है पवित्रता और पवित्रता द्वारा ही परमात्म प्यार और सर्व परमात्म प्राप्तियां हो रही हैं। महात्मा जिसको कठिन समझते हैं असम्भव समझते हैं और आप पवित्रता को स्वधर्म समझते हो। बापदादा देख रहे हैं कई अच्छे अच्छे बच्चे हैं जिन्होंने संकल्प किया और दृढ़ संकल्प द्वारा प्रैक्टिकल में परिवर्तन दिखा रहे हैं। ऐसे चारों ओर के महान बच्चों को बापदादा बहुत-बहुत दिल से दुआयें दे रहे हैं।

‘‘ब्रह्मा बाप समान नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप बनने के लिए, मन का टाइमटेबल बनाकर कर्म करते कर्मयोगी अशरीरी बनने का अभ्यास करो’’

 18-01-2010      ओम शान्ति     अव्यक्त-बापदादा      मधुबन      पुनरावृत्त  18-01-2021


आज चारों ओर के बच्चों में विशेष स्नेह समाया हुआ है। आज के दिन को कहते ही हैं स्मृति दिवस। बापदादा ने अमृतवेले से चारों ओर देखा, चाहे देश में, चाहे विदेश में सभी बच्चों के दिल में बाप के स्नेह की तस्वीर दिखाई दी। और बाप के दिल में भी हर एक बच्चे के स्नेह की तस्वीर समाई हुई थी। आज के दिन को विशेष स्नेह का, स्मृति का दिवस कहते हो। बापदादा ने अमृतवेले से भी पहले बच्चों के तरफ से अनेक स्नेह के मोतियों की मालायें देखी। हर एक बच्चे के दिल में आटोमेटिक यह गीत बज रहा है - मेरा बाबा, ब्रह्मा बाबा, मीठा बाबा। और बापदादा के दिल में यह गीत बज रहा है मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे। आज हर एक के अन्दर और शक्तियों के सिवाए स्नेह की शक्ति ज्यादा समाई हुई है। यह परमात्म स्नेह, ईश्वरीय स्नेह सिर्फ संगमयुग पर ही अनुभव होता है। यह परमात्म स्नेह जो अनुभवी जाने, हर एक बच्चे को सहजयोगी बना देता है। बापदादा ने देखा सर्व बच्चों में स्नेह का अनुभव बहुत-बहुत समाया हुआ है। आप सबका जन्म का आधार स्नेह है। ऐसा कोई भी बच्चा नहीं दिखाई देता, और शक्तियां कम भी हों लेकिन बाप का स्नेह या निमित्त बनी हुई विशेष आत्माओं के स्नेह का अनुभव मैजारिटी सभी के दिल में, चेहरे में दिखाई देता है। अभी आप सबको आज विशेष यहाँ तक किसने पहुंचाया? किस विमान में आये? ट्रेन में आये या विमान में आये? सबकी सूरत में स्नेह के प्लेन से पहुंच गये। कुछ भी करना पड़ा लेकिन स्नेह के प्लेन में सभी पहुंच गये हो।